दुर्घटनाओं का दंश


हले से ही रक्षा बजट पर कम खर्च का दंश झेल रहे  देश को  एक छोटे से समयान्तराल में ही सुरक्षा के क्षेत्र में कई बड़ी दुर्घटनाओं से दो-चार होना पड़ा है। आठ महीने में ही लगभग दो हजार करोड़ की चपत लगी है। पहले नौसेना ने सिन्धु रक्षक पनडुब्बी को खो दिया और हाल ही में वायुसेना ने अपने  सबसे ताकतवर विमान हरक्युलिस को। इतना ही नहीं  इस विमान दुर्घटना में वायुसेना ने अपने छह जाबांज जवान खो दिए। चार विंग कमांडर और दो स्क्वाड्रन लीडर।  ये तो बात हुई दो बड़े हादसों की। इसके अलावा कई छोटे-छोटे हादसों से गुजरती रही है भारतीय सेना। इन हादसों ने एक बार फिर  देश की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर  दिए  हैं।  एक तरफ तो रक्षा बजट पर पर्याप्त धन खर्च न कर पाने की वजह से कानाफूसी होती रहती है और ऐसे में इन हादसों ने आग में घी डालने का काम किया है।




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