आधुनिक हो रहे भगवान!

भगवान के संदर्भ में लिखने से पहले इस बात पर ध्यान देना होता है, कि कहीं इस आर्टिकल से किसी समुदाय के व्यक्तियों की भावना आहत ना हो जाए, इसलिए शब्दों का सद्उपयोग बहुत जरूरी हो जाता है। बात आधुनिक होते भगवान की है तो आज शिरड़ी में सोने के सिंहासन पर सोने का मुकुट लगाए बैठे प्रभु ने अपने जीवनकाल में कभी किसी भौतिक वस्तु का लोभ नहीं किया पर आज का युग आधुनिक है तो प्रभु भी भौतिकवाद से परिपूर्ण हो रहे हैं। भगवान को ये आधुनिकता किसी और ने नहीं बल्कि उनके ही द्वारा रचित इंसान ने दी है। सिर्फ शिरड़ी ही नहीं वाराणसी,उज्जैन,ऋषिकेश,कोटा कुल्लू हर जगह आज भगवान आधुनिक होते जा रहे हैं। ये वो ही भगवान हैं जो अपने सम्पूर्ण जीवन में सिर्फ मनुष्य हित में जिये हैं, पर आज के बदले दौर में भगवान हो रहे हैं आधुनिक। पिछले वर्ष आई फिल्म ‘ओह माई गाड’ में तो निर्देशक ने साफ-साफ भगवान का एक अविस्मरणीय रुप दिखाया था। सूट में श्रीकृष्ण की कल्पना मनुष्य शायद ही करता हो, फिल्म ने बताया कि भगवान एक ही वस्त्र(कपड़े) कितने दिन पहनेंगे, जब हम रोज नए डिजाइनर कपड़े पहनते हैं, तो वो तो भगवान हैं। जब हम पत्र से टेलीफोन फिर मोबाइल फिर इंटरनेट तक आ पहुँचे तो भगवान अपने शस्त्र कंधे पर रखे क्यों घुमें वो भी हाइटेक जमाने के भगवान हैं।
       बात यहीं खत्म नहीं होती आधुनिक भगवान का फायदा कुछ ढोंगी खूब मज़े से उठाते हैं। कोई हाथ हिला के "कल्याण होगा" का आर्शीवाद दे रहा है तो कोई गा कर भक्तों तक अपनी झूठी कृपा पहुँचाकर भक्तों के धन को लूट रहा है। भगवान अब मनोरजंन का साधन बन चुके हैं, कोई 3-डी में उतारकर इन्हें बेच रहा है तो कोई अच्छी-अच्छी इमारतों में रख कर भगवान की कृपा बता कर खुद पर कृपा बरसा रहा है। यही नहीं अब तो त्योंहारों पर भगवान को आधुनिकता के शहद में डुबों कर रुपये रूपी मधुमक्खी को इनके पास आने पर मजबूर किया जाता है, जो भगवान जितना ज्यादा आधुनिक उतनी अधिक कीमत।
                            भगवान के नाम पर धंधा करने वाले अब भगवान पर अपना इस कदर हक जमाते जा रहे हैं कि भगवान पर कापीराइट भी लेने लग गए हैं, मतलब इन भगवान पर मेरा अधिकार है, कोई दूसरा नहीं इस्तेमाल कर सकता। लोगों ने ये हाइटेक भगवान अपनी कल्पना से बनाए हैं। अगर ऐसा रहा तो आने वाले समय में हमें धनुष-बाण की जगह बंदूक-गोली से युक्त और शरीर पर दो वस्त्रों की जगह टाई-सूट वाले भगवान की पूजा करनी होगी! क्या फिर हम फेसबुक पर टाई-सूट पहने बंदूक लिए चूहे या मोर पर नहीं बल्कि मर्सिडीज या प्लेन पर बैठे भगवान की पिक्चर को लाइक करेंगे? अगर भगवान आधुनिक होंगे तो क्या उन पर लिखे गये ग्रंथ जैसे – गीता,कुरान,बाइबिल आदि हमें किताबों की शक्ल में नहीं नोटपैड,आईपैड के रुप में पढ़ने को मिलेंगे?
इस हाईटेक जमाने की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में भगवान क्या खुद को पिछड़ा महसूस कर रहे हैं,क्या वो भी खुद को अपडेट रखना चाहते हैं और वो भी आधुनिकता के रंग में रंग रहे हैं? हम एक नई विचार धारा बना कर भगवान के आधुनिक रुप की कल्पना जरुर कर सकते हैं।

 

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