चुनावी दौर मे नारों का माहौल


चुनाव है तो नारे भी होंगे, चुनाव जीतने के ये सहारे भी होंगे
ये बात अलग है कि इनका नहीं कोई मतलब, लेकिन इन नारों में तो ये नेता हमारे ही होंगे
                                   जीहां हम बात कर रहे हैं चुनावी नारों की जो हर चुनाव में राजनीतिक पार्टियां बदल देती हैं...ऐसा नहीं है कि इन नारों से सियासत में फर्क नहीं पड़ता, पड़ता है तभी तो पार्टियों का जोर इन पर ज्यादा होता है। चंद शब्दों से बने इन नारों से संदेश देने की पहल होती है, तो विरोधियों को बेनकाब करने की कूबत।
                                   ये अजीब इत्तेफाक है कि एक स्लोगन सियासत में चार चांद लगा देता है। ताजा उदाहरण की बात करें समाजवादी पार्टी ने साइकिल उम्मीद की चलाई और विधानसभा चुनावों में 224 सीटें पाईं। बात अगर 2014 के चुनावों की करें तो युवा इस बार निर्णायक भूमिका में होंगे सो उन्हें रिझाने के लिए वैसे ही नारे गढ़े जा रहे हैं।कांग्रेस के ताजा नारे की बात करें तो इसका नारा है कट्टर सोच युवा सोच।  इसके अलावा एक और नारा आया है हर हाथ शक्ति हर हाथ तरक्की। बीजेपी ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा तो एसपी ने देश बचाओ देश बनाओ नारा दिया है। तो ये नारे है और नारों का क्या, इसलिए अपना मत उसी को दान करें जो आपकी नज़र में सियासत के लिए सही हो......

No comments:

Post a Comment