'देर आए दुरुस्त आए'

'देर आए दुरुस्त आए'  ये कहावत "गजोधर भइया" पर बिल्कुल सटीक बैठती है। "गजोधर भइया" मतलब कामेडी किंग राजू श्रीवास्तव। एक साल पहले राजू को कानपुर से लोकसभा का टिकट मिला था और इतना ही नहीं यह टिकट उन्हे सत्ता पक्ष की समाजवादी पार्टी  की ओर से मिला था। राजू ने भी संजोया था अपनी आंखों में नेता बनने का सपना...  ओह माफ करिएगा!  सांसद बनने का सपना!  लेकिन राजू श्रीवास्तव ने सपना पूरा होने से पहले ही मैदान छोड़ दिया या फिर छोड़ देना पड़ा। उन्होने इसका कारण पार्टी का सहयोग और तवज्जो न मिलना बताया... तो वहीं उनकी इस बात से सपाई तिलमिला उठे हैं। इतना ही नहीं निवर्तमान अध्यक्ष चंद्रेश सिंह ने कह डाला कि नाचने गाने वाले गंभीरता से चुनाव नहीं लड़ सकते। इससे एक बात समझ नहीं आती कि एक नेता गंभीरता की बात कर रहा है! अगर  देश के नेता एक दिन के लिए भी गंभीर हो जाए तो शायद देश के हालात सुधरने लगें। अब एक सवाल उठता है कि जब पार्टी ने राजू को टिकट दिया था तब क्या वह कामेडियन नहीं थे? या फिर पार्टी को पता नहीं था? फिलहाल राजू अपनी लोकप्रियता का फायदा उठाने से चूक गए। लेकिन कहते है कि जो भी होता है अच्छे के लिए होता है। फिलहाल यह कथन तो मेरी तरफ से उचित है लेकिन राजू की तरफ से क्या होगा ये तो भगवान जाने या फिर खुद राजू श्रीवास्तव!

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