प्रेम की शक्ति


प्रेम इस मोहमाया से परिपूर्ण संसार की सबसे बड़ी ताकत है। किसी भी प्राणी से बलपूर्वक कार्य सम्पन्न कराने की अपेक्षा करना भी पाप है।  प्रेम के माध्यम से किसी भी जीव के हृदय एक भावनात्मक दृष्टिकोण का निर्माण किया जा सकता है।  ये प्रेम ही है जो कठोर हृदय प्राणी को भी उदार बना देता है।  संवेदना, भावना और मनोभाव की पराकाष्ठा ही तो है प्रेम।  प्रेम भावना ही किसी प्राणी के विनम्र स्वभाव की परिचायक है। 


                                      

                     
                                                 प्रेम ही ऐसी महान शक्ति है जो सभी दिशाओं में जीवन को आगे बढाने में सहायक होती है। बिना प्रेम के किसी के विचारों में परिवर्तन नहीं लाया जा सकता। विचार तर्क-वितर्क की शक्ति नहीं है। विचारणा एवं विश्वास बहुकाल के सत्संग से बनते हैं। अधिक समय की संगति का ही परिणाम प्रेम है। इसलिए विचार धारणा अथवा विश्वास प्रेम का विषय है। यदि हम दूसरों पर विजय प्राप्त करके उनको अपनी विचारधारा में बहाना चाहते हैं, उनके दृष्टिकोण को बदलकर अपनी बात में सहमति चाहते हैं तो प्रेम का ही सहारा लेना चाहिए। विश्वास रखिए कि आपकी प्रेम और सहानुभूति से परिपूर्ण बातों को सुनने के लिए दुनियां विवश हो जाएगी। बस धैर्य रखिए।

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