क्यों भागते रहे चिदंबरम?


खिरकार पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी हो गई और CBI कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री को 26 अगस्त तक CBI कस्टडी में भेज दिया। लेकिन चिदंबरम की गिरफ्तारी के लिए CBI ने जो नाटक किया, उसकी ज़रूरत थी क्या? दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आर्थिक घोटाले में चिदंबरम की जमानत अर्जी खारिज की और सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के गलियारे से चिदंबरम गायब हो गए और करीब 24 घंटे बाद कांग्रेस के मुख्यालय में प्रकट हुए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने खुद के बेगुनाह होने का दावा किया। जिसके बाद चिदंबरम अपने घर पहुंचे और CBI ने उनकी गिरफ्तारी के लिए जो नाटक किया, उसे पूरे देश ने देखा। चिदंबरम करीब 24 घंटे दिल्ली में ही गुमशुदा थे लेकिन CBI उन्हें नहीं ढूंढ पाई। माना कि चिदंबरम देश के पूर्व गृह मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके हैं। लेकिन उसका यहां क्या संबंध? वे कोई भी हों लकिन कानून से ऊपर तो नहीं और न ही संविधान में किसी मंत्री की सज़ा के लिए अलग से कोई प्रवाधन है। चिदंबरम ये कैसे भूल गए कि वे देश के गृह मंत्री थे और कानून के अच्छे जानकार माने जानेवाले वकील भी थे? जिस वक्त अदालत ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत की अर्जी को रद्द किया और SC ने जमानत अर्जी पर तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया, चिदंबरम को उसी वक्त CBI मुख्यालय में जाकर समर्पण कर देना चाहिए था। ऐसा हुआ होता तो चिदंबरम के लिए आदर बढ़ा होता। कांग्रेस पार्टी की चाकरी में जुटे रहने वाले कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद और विवेक तनखा जैसे बड़े वकीलों की फौज रहते हुए भी चिदंबरम का बचाव नहीं हो पाया। चिदंबरम फरार हुए और बाद में प्रकट हो गए। कांग्रेस मुख्यालय में प्रकट हुए चिदंबरम ने कहा, ‘आईएनएक्स घोटाले में मैं आरोपी नहीं हूं।मान लिया ऐसा है तो फिर चिदंबरम पिछले एक साल से ज्यादा समय से जमानत लेकर क्यों घूम रहे थे? जो आरोपी नहीं है, उसे गिरफ्तार करने के लिए जांच एजेंसी पागल है क्या? ‘स्वतंत्रता लोकतंत्र का मूल मंत्र है। ऐसे समय में जीवन और स्वतंत्रता के बीच यदि मुझसे चुनाव करने को कहा गया तो मैं स्वतंत्रता को प्राथमिकता दूंगा।चिदंबरम ने कांग्रेस मुख्यालय में ऐसा कहा। चिदंबरम कौन सी स्वतंत्रता की बात कर रहे हैं? ‘आईएनएक्सऔर एयरसेलका आर्थिक लेन-देन नमक आंदोलनयागांधी की दांडी यात्रानहीं है। ये कोई स्वतंत्रता संग्राम नहीं है इसलिए इस मामले पर नैतिकता और लोकतांत्रिक मूल्यों का मुलम्मा चढ़ाने की कोई ज़रूरत नहीं है। जब चिदंबरम गृह मंत्री थे, उस समय उन्होंने कई नेताओं की स्वतंत्रता का इसी प्रकार हनन किया था और उसके लिए सीबीआई जैसी एजेंसी का उपयोग किया गया था। हिंदू आतंकवादजैसे शब्द के जनक तत्कालीन गृह मंत्री चिदंबरम ही थे और उस समय उस विकृत कल्पना के बलि चढ़े अमित शाह और नरेंद्र मोदी आज दिल्ली के सूत्रधार बने हुए हैं। आज प्रज्ञा सिंह ठाकुर संसद पहुंच चुकी हैं। ये समय का लिया हुआ प्रतिशोध है। चिदंबरम उसी सीबीआई की हिरासत में पहुंच गए जिसके मुख्यालय का 2011 में गृहमंत्री रहते हुए उद्घाटन किया था। चिदंबरम प्रख्यात वकील हैं। राजतंत्र कैसे चलता है और कैसे हिलता है, ये वो अच्छी तरह जानते हैं। वर्तमान परिस्थिति का सामना करना और अपना बचाव करते रहना ही एकमात्र उपाय है। कांग्रेस की क्षीण होती आवाज कुछ दिनों में बंद हो जाएगी। लोग चिदंबरम को भूल जाएंगे।

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