सत्ता की बढ़ती सरगर्मी.............

मंच तैयार हो चुका है, मोर्चे कसे जा रहे हैं, उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जा रही है और साथ ही हो रही है आरोप-प्रत्यारोपों की बौछार। आखिर ये सब होना लाजिमी भी है कयोंकि माहौल है देश के 16वें लोकसभा चुनाव का।फिलहाल सत्ता के गलियारों में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसी गर्मी में सफेद पोशाक धारी अपने राजनीतिक तवे पर चुनावी रोटियां सेंकने में जुटे हुए हैं। हर संभव जनता को लुभाने में जुटे है। और सही भी है क्योंकि यही तो वक्त है मेहनत करने का और फिर करेंगे आराम से आराम। नेता अपने वादों की मिठास में डूबे भाषणों को जनता के सामने परोस रहे हैं। काश इनकी य़ह मिठास हमेशा बरकरार रहती!! इसी के साथ तीसरे मोर्चे की परते भी खुलती नज़र आ रहीं है और इसमें दो राय नहीं कि यह तीसरा मोर्चा बीजेपी और कांग्रेस के चुनावी समीकरण को बिगाड़ सकता है। फिलहाल चार राज्यों में मिली हार के बाद से कांग्रेस के चेहरे पर लगातार चिन्ता की लकीरे उभरी हुईं है और अप्रत्यत्क्ष रूप से वह अपनी स्थिति को भांप भी चुकी है। साथ ही पार्टी के कुछ नेता अलगाव का मन बना चुके है और कुछ बना रहे है। तो उधर पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव से पहले अपने कुछ विवादित बयानों की वजह से विपक्ष की नजरों में चढ़ गए। तो उधर बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता चरम पर है। हाल ही में हुए एक अमेरिकी सर्वे में मोदी को लोकप्रियता में63 फीसदी मत हासिल हुए। इसमें कोई शक नही कि मोदी इस वक्त लोकप्रियता की चरम सीमा पर है और चुनाव के वक्त यह बीजेपी के पास एक सकारात्मक रवैया है। साथ ही यही बात विपक्षियों के आंख की किरकिरी बनी हुई है। फिलहाल कौन संभालेगा देश की बागडोर यह एक बड़ा सवाल है???  

  

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